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सोमवार, फ़रवरी 07, 2011

शायरों की महफिल से


कटोरा और भीख
कटोरा लेकर भीख भी मांग ली होती,
अगर सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी होती.
अपनी जीवन लीला खत्म कर ली होती,
अगर कानून ने इसकी मंजूरी दे दी होती. 
मैंने शराब कब की चख ली होती,
अगर संस्कारों ने इसकी मंजूरी दे दी होती.
अपनी पत्नी की हत्या कर दी होती,
अगर मेरे माता-पिता ने ऐसी शिक्षा दी होती.
अपनी जिंदगी खुशहाल कर ली होती,
अगर पत्नी ने दूषित मानसिकता बदल ली होती
मैंने भी लाखों रूपये रिश्वत दे दी होती,
अगर कलम अपनी वेश्या बना ली होती. 
मेरे प्रकाशन ने पत्रकारिता के फर्ज से गद्दारी कर ली होती, आज मेरी एक ब्लैकमेलर पत्रकार की छवि बन गई होती.

मैंने भी "राम जेठमलानी" की सेवा ले ली होती,
अगर सरकार द्वारा निर्धारित टैक्सों की चोरी कर ली होती.
हाईकोर्ट में न्याय की पुकार लगा ली होती,
काश! अपने ज़मीर व ईमान की बिक्री कर ली होती.
सुप्रीमकोर्ट में न्याय की पुकार लगा ली होती,
काश! मैंने भी दो नं. की कमाई कर ली होती.
कटोरा लेकर भीख भी मांग ली होती,
अगर सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी होती.
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क्रान्ति का बिगुल बजाये

जनकल्याण हेतु अपनी आहुति जरुर दें
हर वो भारतवासी जो भी भ्रष्टाचार से दुखी है,वो देश की आन-बान-शान के लिए अब भी समाजसेवी श्री अन्ना हजारे का समर्थन करने हेतु एक बार 022-61550789पर स्वंय भी मिस्ड कॉल करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे.यह श्री हजारे की लड़ाई नहीं है बल्कि हर उस नागरिक की लड़ाई है. जिसने भारत माता की धरती पर जन्म लिया है.पत्रकार-रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना हैं ज़ोर कितना बाजू-ऐ-कातिल में है