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शुक्रवार, नवंबर 05, 2010

शायरों की महफिल से

अपनाने का डर सा लगता
शेरों- शायरी की महफिल में आपका स्वागत है. नाचीज़ का सलाम कबूल करें. शेरों- शायरी, ग़ज़लों, कविताओं की दुनियां में जब कोई भी, कभी भी किसी रचना को सुनता या पढ़ता है. तब कई बार लगता है कि-उपरोक्त रचना को या सिर्फ इन लाइनों को मेरे लिए कहा गया है. उस रचना में व्यक्त भावों में अपना ही दर्द महसूस होता है. पिछले दिनों ऐसी एक रचना बगैर शीर्षक वाली पढने को मिली. पढ़कर अपनी सी लगी. लेखक का नाम तो याद नहीं है, मगर रचना बहुत  अच्छी है. उसको बस एक शीर्षक देकर आपके लिए प्रस्तुत किया. रचना बुरी लगे तो आलोचना मेरी कीजिये, क्योकि यह रचना मैंने संकलन की है और अगर अच्छी लगे तो उस लेखक की तारीफ जरुर कीजियेगा.गौर फरमाईयेगा...........अर्ज किया है.
मुझे अकेले पन से डर लगता है, मुझे अंधेरों से डर लगता है !
मुझे दुश्मनों से नहीं पर अपनों से विराना होने का डर लगता है !!
कहने को सबकुछ है पर अपनों को अपना कहते डर सा लगता है !!!
जो लोग कभी अपने थे उनको अपनाने का डर सा लगता है !!!!
जिन्हें कभी रंगों से रंगता था उनको अब रंग 
लगाते डर सा लगता है !!!!!
कैसी लगी आपको यह रचना. अब थोडा-सा कष्ट और करें. मेरे द्वारा कही (निम्नलिखित) एक रचना का शीर्षक भी सुझा दें. उपरोक्त रचना दिल्ली में चलने वाली मैट्रो रेल में "कही" गई थी.

कृपया रचना का कोई अच्छा-सा "शीर्षक"(नाम) बताईये!
राह गुजर होती हैं जब भी तेरे शहर से,
प्यासी निगाहें ढूढती हैं तुझे देख लेने की आस से.
यह गुस्ताखी थी हमारी कि-उन्हें खुदा कह बैठे,
न थें ज़रें के भी काबिल उन्हें खुदा समझ बैठे.
हमने कहा होता काश अपना दर्द ज़माने से,
हमारी भी किस्मत बन गई होती आपकी कहानी से.
हम तुम्हारी क्रूरता सहन करते रहें प्यार समझ के,

तुम प्यार का ढ़ोंग करते रहें तिजोरी समझ के.  
नोट : कोई भी रचना "लिखी" नहीं जाती है बल्कि "कही" जाती है. जैसे मैंने उपरोक्त रचना लिखी नहीं कही है. हमेशा अनजान व्यक्तियों द्वारा कहा जाता है कि-मैंने यह कविता, ग़ज़ल या शेरों-शायरी लिखी है.

शुभ दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!

हर आंगन, हर चौखट पर, हर धड़कन, हर उम्मीद पर, हर शब्द और हर पन्ने पर जले प्यार की बाती "शकुन्तला प्रेस" परिवार की ओर से हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी शुभदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ! 

 आपके घर में रौशनी की जगमग हो. स्वादिस्ट पकवान बनें और मिठाइयों का आदान-प्रदान हो. पूजा के दौरान श्री लक्ष्मी माता का आगमन हो. आपके चारों खुशियों का वातावरण हो. दु:खों-ग़मों और मुसीबतों का बेसरा बस मेरे घर तक ही सीमित हो. आपका व आपके परिवार का इनसे दूर-दूर तक कोई वास्ता भी न हो.इन्हीं मंगल कामनाओं के साथ...........एक फिर से "शकुन्तला प्रेस ऑफ़ इंडिया प्रकाशन" परिवार और "शकुन्तला एडवरटाईजिंग एजेंसी" की ओर से आप व आप सभी के परिवारों को दीपावली, गोबर्धन पूजा और भैया दूज की हार्दिक शुभकामनायें 
#आपका अपना शुभाकांक्षी-निष्पक्ष, निडर, अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा वाला प्रकाशक, मुद्रक, संपादक, स्वतंत्र पत्रकार, कवि व लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" फ़ोन:9868262751, 9910350461 email: sirfiraa@gmail.com, महत्वपूर्ण संदेश-समय की मांग, हिंदी में काम. हिंदी के प्रयोग में संकोच कैसा,यह हमारी अपनी भाषा है. हिंदी में काम करके,राष्ट्र का सम्मान करें.हिन्दी का खूब प्रयोग करे. इससे हमारे देश की शान होती है. नेत्रदान महादान आज ही करें. आपके द्वारा किया रक्तदान किसी की जान बचा सकता है.

मंगलवार, नवंबर 02, 2010

शायरों की महफिल से

  हिंदी के प्रचार प्रसार में अग्रणी प्रकाशन
शकुन्तला प्रेस ऑफ़ इंडिया प्रकाशन द्वारा प्रस्तुत
युवाओं के दिलों की धड़कनों को तेज करने के लिए  पेश है    
                              आपकी शायरी

मेरा  लगभग 13  साल पहले एक ख्याब था कि- एक अपनी शेरों-शायरी की "आपकी शायरी " के नाम से एक किताब प्रकाशित करूँ और फिर उसके बाद "आपकी शायरी" के द्धितीय संसकरण में आमन्त्रित्र शायरों की रचनाएँ  प्रकाशित हो. आज  यह ख्याब किताब के रूप में तो नहीं मगर ब्लॉग के माध्यम से कुछ हद तक पूरा हो रहा है. इसमें अपनी रचनाओं  के साथ कुछ संकलन रचनाएँ  भी प्रकाशित करूँगा.
"सुना है आप हमारा घर भूल गए
अरे! भूले तो भूल गए
इसमें भी पछताना  क्या
भूले तो हम
मगर हम कुछ इस कद्र भूले
कि उनका घर तो याद रहा
मगर अपना घर भूल गए."
 
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क्रान्ति का बिगुल बजाये

जनकल्याण हेतु अपनी आहुति जरुर दें
हर वो भारतवासी जो भी भ्रष्टाचार से दुखी है,वो देश की आन-बान-शान के लिए अब भी समाजसेवी श्री अन्ना हजारे का समर्थन करने हेतु एक बार 022-61550789पर स्वंय भी मिस्ड कॉल करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे.यह श्री हजारे की लड़ाई नहीं है बल्कि हर उस नागरिक की लड़ाई है. जिसने भारत माता की धरती पर जन्म लिया है.पत्रकार-रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना हैं ज़ोर कितना बाजू-ऐ-कातिल में है